बिना थके बिना डरे, बिना रूके मंज़िल पाती थी, बिना थके बिना डरे, बिना रूके मंज़िल पाती थी,
देह जली तो राख हुई मन जला तो भाप हुआ...... देह जली तो राख हुई मन जला तो भाप हुआ......
नदी की आत्मा से पूछो, जिसकी आँख से वह बूँद टपकी, अभी-अभी। नदी की आत्मा से पूछो, जिसकी आँख से वह बूँद टपकी, अभी-अभी।
लेकिन नदी कभी वापस नहीं लौटती वह बहती जाती है बहती जाती है और बहती जाती है लेकिन नदी कभी वापस नहीं लौटती वह बहती जाती है बहती जाती है और बहती जाती...
काम आयेंगे जल की तरह वो भी ,हिचकी बंध जाये नहीं रोना तो भी , जल के अम्बार यूँ तो समेटे है नदी.... काम आयेंगे जल की तरह वो भी ,हिचकी बंध जाये नहीं रोना तो भी , जल के अम्बार यूँ तो...
इतना सुंदर गाँव हमारा वो नहीं भूल सकते हैं। इतना सुंदर गाँव हमारा वो नहीं भूल सकते हैं।